Posted by: Bagewafa | اگست 10, 2017

शैखुल इस्लाम मौलाना हुसेन अहमद मदनी (रह)شیخ الاسلام مولانا سید حسین احمد مدنی رح۔

شیخ الاسلام مولانا سید حسین احمد مدنی رح۔

 

 انگریزی جج سے کہنے لگے مجھے پتہ ہے سزا موت ہوگی اسی لئے دیوبند سے کفن ساتھ لیکر آیا ہوں

 ایک مرتبہ حضرت مولانا حسین احمد مدنیؒ پر غداری کا مقدمہ چلا اور فرنگی کی عدالت)جناح( ہال کراچی میں ان کی پیشی ہوئی، مولانا محمد علی جوہر اور بہت سارے دوسرے اکابرین بھی وہاں جمع تھے، فرنگی نے بلایا اور کہا کہ حسین احمد! یہ جو تم نے فتویٰ دیا ہے کہ انگریز کی فوج میں شامل ہونا حرام ہے،اس کی اجازت نہیں، تمہیں پتہ ہے کہ اسکا نتیجہ کیا ہو گا؟ حضرت نے فرمایا کہ ہاں مجھے پتہ ہے اس کا نتیجہ کیا ہے،

 اس نے پوچھا کہ کیا نتیجہ ہے؟

 حضرت کے کندھے پر ایک سفید چادر تھی، حضرت نے اس کی طرف اشارہ کرکے فرمایا کہ یہ اس کا نتیجہ ہے،

 فرنگی نے کہا کہ کیا مطلب؟

 فرمایا کہ کفن ہے، میں اپنے ساتھ لے کر آیا ہوں تاکہ تم اگر مجھے پھانسی بھی دے دو گے تو کفن میرے پاس ہوگا،

 مولانا محمد علی جوہر نے حضرت کے پاؤں پکڑ لیے اور عرض کیا کہ حضرت! تھوڑا سا ذومعنی سا جواب دے دیں جس سے آپ بچ جائیں، کیونکہ ہمیں آپکی بڑی ضرورت ہے، آپ ہمارے سر کا تاج ہیں، آپ جیسے اکابر ہمیں پھر نہیں ملیں گے مگر حضرت مدنیؒ کی اس وقت عجیب شان تھی۔

 سبحان اللہ

 فرنگی کہنے لگا: حسین احمد! تمہیں کفن لانے کی کیا ضرورت تھی؟

 جس کو حکومت پھانسی دے اس کو کفن بھی حکومت دیتی ہے،

 حضرت مدنیؒ نے فرمایا: اگر چہ کفن حکومت دیتی ہے، لیکن میں اپنا کفن اس لیے لایا ہوں کہ فرنگی کے دیے ہوئے کفن میں مجھے اللہ کے حضور جاتے ہوئے شرم آتی ہے، میں قبر میں تمہارا کفن بھی لے کر جانا نہیں چاہتا

शैखुल इस्लाम मौलाना हुसेन अहमद मदनी (रह)

 

अंग्रेज़ी जज से कहने लगे मुझे पता है सज़ा मौत होगी इसी लिए देवबंद से कफ़न साथ लेकर आया हूँ

 एक मर्तबा हज़रत मौलाना हुसैन अहमद मदनीऒ पर ग़द्दारी का मुक़द्दमा चला और फ़रंगी की अदालत)जिनाह( हाल कराची में उनकी पेशी हुई, मौलाना मुहम्मद अली जोहर और बहुत सारे दूसरे अकाबिरीन भी वहां जमा थे, फिरंगी ने बुलाया और कहा कि हुसैन अहमद! ये जो तुमने फ़तवा दिया है कि अंग्रेज़ की फ़ौज में शामिल होना हराम है,इस की इजाज़त नहीं, तुम्हें पता है कि उसका नतीजा क्या होगा? हज़रत ने फ़रमाया कि हाँ मुझे पता है इस का नतीजा किया है,

उसने पूछा कि क्या नतीजा है?

हज़रत के कंधे पर एक सफ़ैद चादर थी, हज़रत ने इस की तरफ़ इशारा करके फ़रमाया कि ये उस का नतीजा है,

फ़रंगी ने कहा कि क्या मतलब?

फ़रमाया कि कफ़न है, में अपने साथ लेकर आया हूँ ताकि तुम अगर मुझे फांसी भी दे दोगे तो कफ़न मेरे पास होगा,

मौलाना मुहम्मद अली जोहर ने हज़रत के पांव पकड़ लिए और अर्ज़ किया कि हज़रत! थोड़ा सा ज़ूमानी सा जवाब दे दें जिससे आप बच जाएं, क्योंकि हमें आपकी बड़ी ज़रूरत है, आप हमारे सर का ताज हैं, आप जैसे अकाबिर हमें फिर नहीं मिलेंगे मगर हज़रत मदनीऒ की इस वक़्त अजीब शान थी।

 सुब्हान-अल्लाह

फ़रंगी कहने लगा: हुसैन अहमद! तुम्हें कफ़न लाने की क्या ज़रूरत थी?

जिसको हुकूमत फांसी दे उस को कफ़न भी हुकूमत देती है,

हज़रत मदनीऒ ने फ़रमाया: अगरचे कफ़न हुकूमत देती है, लेकिन में अपना कफ़न इसलिए लाया हूँ कि फिरंगी के दिए हुए कफ़न में मुझे अल्लाह के हुज़ूर जाते हुए शरम आती है, मैं क़ब्र में तुम्हारा कफ़न भी लेकर जाना नहीं चाहता

 

(Courtesy:Shabbir Mitchla)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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